मुक्तिधन (कहानी)CLICK HERE - मुंशी प्रेमचंद्र
1.मुक्तिधन कहानी का सारांश लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?
ज)लेखक का परिचय (click here ): - "मुक्तिधान "कहानी के लेखक "मुंशी प्रेमचंद" हिंदी साहित्य में "उपन्यास सम्राट" के नाम से विख्यात हैं।उनक जीवन काल 31 जुलाई 1880 से 8 अक्टूबर 1936 तक हैं। उनका वास्तविक नाम “धनपत राय श्रीवास्तव” था।उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) के साहित्यिक जीवन का आरंभ (आरम्भ) 1901 से हो चुका था । आरंभ में वे ‘नवाब राय’ के नाम से उर्दू में लिखते थे।1921 ई. में असहयोग आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को त्यागपत्र दे दिया।
इन्होंने एक दर्जन कहानियां, नाटक ,निबंध ,बच्चों की कहानियां जैसे साहित्य सृजन कर चुके हैं।
👉मुक्तिधन कहानी आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानी है। इसमें सांप्रदायिक संपूर्णता से बढ़कर मानव व्यवहार का चित्रण किया गया है।
👉लाला दाऊ दयाल एक महाजन है जो अपने वसूलने में किसी के साथ रियायत नहीं करता। परंतु रहमान की नेक नियाती और सरल व्यवहार से रहमान को उधार देने में तनिक भी हिचकिचाहट नहीं करता। रहमान के पास गाय को सिर्फ ₹35 में खरीदकर कसाइयों के हाथों से गाय को बचाता है। रहमान की बूढ़ी माता की हज की यात्रा के लिए आवश्यक ₹200 का प्रबंध करता है।
लेकिन रहमान की बूढ़ी मां जब से हज की यात्रा करके आई हैं ,तब से बीमार पड़ गई। वह रात दिन उन्हीं की दवाइयों के लिए दौड़ता था। इसका खर्च बहुत होने लगा ।फिर अंत में वह परलोक सिधार गई ।अब तक पानी में था अब पानी सिर पर आ चुका था। इस दौरान भी वह फिर से कर्ज़ लेना नहीं छोड़ा।वैसे तो लाला दाऊ दयाल भी पैसे देने में हिचकिचाहट नहीं की।फिर रहमान की कड़ी फसल जल जाने पर भी उसे सकते नहीं करते।
👉कहानी का अंत बहुत मार्मिक बन पड़ा है। लाला दाऊदयाल रहमान से कहता है -"मैं तुम्हारा कर्ज़दार हूं , तुम मेरे कर्ज़दार नहीं हो। तुम्हारी गऊ अब तक मेरे पास है । उसने मुझे कम से कम ₹800 का दूध दे दिया है, दो बछड़े भी नफ़े में अलग। अगर तुमने यह गाय कसाईयों को दे दी होती, तो मुझे इतनी संपत्ति नहीं मिलती । तुमने उस वक्त ₹5 का नुकसान उठाकर गाय मेरे हाथ भेजी थी । तुम्हारी यह शरफ़त मुझे याद है । तुम शरीफ़ और अच्छे आदमी हो मैं तुम्हारी मदद करने को हमेशा तैयार रहूंगा।
विशेषताएं:
* कहानी का वातावरण सजीव है।
*इस कहानी में लाला दाऊ दयाल के पात्र के द्वारा समाज में निम्न वर्ग के शोषण के बारे में अद्भुत ढंग से वर्णन किया गया है।
*रहमान पात्र का चरित्र चित्रण निम्न वर्ग के प्रतिनिधि की भांति लगता है उस वर्ग में उपस्थित ईमानदारी और प्रतिबद्धता का सुंदर चित्रण किया गया है।
*रहमान पात्र का चित्रण भारतीय किसानों का प्रतिनिधि सा लगता है ।इसके द्वारा किसानों की व्यवस्था का वर्णन करना इस कहानी का अन्य मुख्य उद्देश है।
*अंत में हम यह कह सकते हैं कि रहमान और दाऊ दयाल पात्रों के द्वारा समाज में व्याप्त धार्मिक असहिष्णुता को कम करने का प्रयास किया गया है।
*एक कठोर महाजन के ह्रदय परिवर्तन का चित्रण करके कहानी आदर्शोन्मुख बन जाती है।
2. "मुक्ति धन" कहानी के शीर्षक की युक्तियुक्तता की समीक्षा कीजिए।
(या)
मुक्तिधाम कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
ज) उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानी है। इसमें लाला दाऊदयाल महाजनों का प्रतिनिधि है । जो कर्जदरों के साथ कठिन व्यवहार करता है। रहमान का पात्र किसानों का प्रतिनिधि सा लगता है।
रहमान अपनी लगन के पैसों के लिए अपनी प्यारी गऊ को भेज देता है। मां की हज की यात्रा के लिए , वह बीमार होने पर खर्चों के लिए, और अंत में मृत्यु होने पर अंतिम संस्कारों के लिए विवश होकर लाला दाऊ दयाल के पास कर्ज लेता है।
रहमान अपनी सारी शक्ति लगाकर खेत में मेहनत करता है। लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है ।उसका सारा खेत अंत में जल जाता है ।वह चाहता था कि फसल के आने के साथ ही उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे , लेकिन हुआ कुछ उल्टा ।जिससे उसे और भी मुश्किलों को झेलना पड़ा।
गुलाम छुटकारा पाने के लिए जो धन देता है उसी को मुक्ति धन कहते हैं। दाऊ दयाल कहता है कि रहमान अपनी गऊ को बेचकर उसका मुक्तिधन दे चुका है । उस गऊ से दाऊ दयाल को अधिक लाभ ही हुआ है। दिल के कठोर स्वभाव वाले दाऊ दयाल के हृदय परिवर्तन का चित्रण करना ही इस कहानी का मुख्य बिंदु है। रहमान दाऊ दयाल की उदारता के बदले उसका गुलाम बनने को भी तैयार रहता है लेकिन दाऊ दयाल इसे मना करता है । वह कहता है कि मुझे पहले ही धन मिल चुका है इसलिए ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है ।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि इस कहानी के लिए मुक्ति धन का शीर्षक 100% सही है । लाला दाऊ दयाल एहसान का बदले को कर्ज के रूप में देकर उसी को मुक्तिधन समझता है ।लेकिन रहमान गुलाम बनने को तैयार होकर अपना कर्ज माफ कर आना चाहता है इस तरह यह कहानी अत्यंत संवेदनशील एवं भावुक बनती है।
3.रहमान" पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए?
(या)
मुक्तिधन पाठ में रहमान का पात्र कैसा है?
ज)★मुक्तिधन कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचन्द जी हैं।
वे हिंदी साहित्य जगत में उपन्यास सम्राट के नाम से विख्यात हैं।इस कहानी में रहमान एक मुख्य पात्र है।
जो गरीब परिवार का एक किसान था।रुपयों की ज़रूरत होने पर विवश होकर अपनी प्यारी सुंदर गऊ को ₹35 में बेच देता है। लेकिन किसी कसाई के हाथों नहीं, उसका पालन पोषण करने वाले सही व्यक्ति ललादाऊदयाल के हाथों में सौंप देता है। इससे पता चलता है कि रहमान गऊ से कितना प्यार करता था।
★अपनी माता की हज यात्रा के लिए पहली बार ₹200 रूपिये दाऊ दयाल से कर्ज लेता है।वह खेती करके उसे चुकाना चाहता है।फिर माता के बीमार होने पर, उसके मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए वह दाऊ दयाल से कर्ज लेता है।इससे यह पता चलता है कि वह अपने कर्तव्यों की पूर्ति बड़ी निष्ठा से करने वाला व्यक्ति है।
★रहमान एक ईमानदार तथा परिश्रमी किसान हैं। साल भर मेहनत करके ऋण अदा करना चाहता है ।लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी फसल जल जाती है। इस ऋण को चुकाने के लिए अंतिम अवकाश के रूप में उसे गुलाम बनने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। वह ऐसा ही करता है ।इससे पता चलता है कि रहमान कितना नेक और ईमानदार है ।इस पात्र के द्वारा और इसके प्रभावशाली गुणों के द्वारा दाऊ दयाल जैसे कठोर आदमी में भी परिवर्तन आता है ।अंत में वह दाऊदयाल के स्वभाव को बदल देता है।
4. मुक्तिधन पाठ में लाला दाऊदयाल के पात्र का चित्रण कीजिए।
ज)★मुक्तिधन मुंशी प्रेमचंद की आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानी है। लाला दाऊदयाल इसका एक मुख्य पात्र है। वह अदालत में मुख्तारगिरी का काम करता है।वह अपनी आय में से बचत पैसों को गरीबों को कर्ज के रूप में देकर मुनाफा कमाता है।
★दाऊ दयाल का नियम यह है कि वह सिर्फ निम्न वर्ग के किसानों एवं मजदूरों को ही कर्ज देता है। उच्च वर्ग के लोगों को कदापि नहीं देता।उनका मानना है कि वे कर्ज तो लेंगे,लेकिन देते नहीं।सिर्फ गरीब लोग ही इमानदारी से पैसे देते हैं।
★एक बार जब वह बाजार में देखता है की एक गरीब आदमी अपनी गऊ बेचरहा है,तो वह उसे सस्ते कीमत में हासिल करता है। लेकिन वह सोच में पढ़ जाता है की यह गरीब आदमी सस्ते दाम में देकर उस पर एहसान कर रहा है।घर लेजाकर उसे पैसे देकर भेजता है।
★इसी कारण उन्हें रहमान को ज़रूरत होने पर बार बार पैसे देने में कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन कर्ज के पैसे चुकाने में रहमान कई बार विफल होने पर भी वह कुछ नहीं कहता। लोग आश्चर्य में डूब जाते हैं। क्योंकी यह बात लाला दाऊदयाल के स्वभाव के विरुद्ध थी।वह रहमान की नेक दिल और ईमानदारी से अत्यंत प्रभावित होजता है।उसका दिल रहमान की दीनकथा सुनकर पिघल जाता है।
अंत में हम देख सकते हैं की वह महाजन से एक आदर्शपूर्ण व्यक्ति के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
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SK MASTHAN VALI , HINDI DEPARTMENT |
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